भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, वैश्विक ब्रोकरेज जेफ़रीज़ का कहना है

2/22/20241 min read

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना ​​है कि भारत में 2027 तक जापान और जर्मनी दोनों को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है। यह एक महत्वपूर्ण और उत्साहजनक दावा है जो देश की आर्थिक विकास और प्रगति के प्रतीक रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है।

भारत की अर्थव्यवस्था ने हाल ही में तेजी से विकास की गति पकड़ी है और अपने विभिन्न क्षेत्रों में मजबूती दिखा रही है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं उद्यमिता, नवीनीकरण, बड़े निवेश, और बढ़ती आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में प्रगति।

भारत की सरकार ने विभिन्न नीतियों और सुविधाओं के माध्यम से व्यापार, निवेश और उद्यमिता को सुविधाजनक बनाने के लिए कठिनाइयों को कम किया है। नए स्टार्टअप्स को समर्थन और प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो नए रोजगार और आय के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं। इसके साथ ही, भारत में बढ़ती आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश का विस्तार हो रहा है, जो देश के आर्थिक विकास और वृद्धि को सशक्त बनाने में मदद कर रहा है।

जेफरीज़ के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था की विशेषताएं उद्यमिता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और बढ़ती आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उनकी उपस्थिति के कारण हैं। भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता को प्रोत्साहित किया है, जो नए रोजगार और आय के स्रोत प्रदान कर रहे हैं। इसके साथ ही, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने अपने विकास की गति बढ़ाई है, जो उन्नति और नवीनीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत की आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर की वृद्धि देश के आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। नए और मॉडर्न आवास परियोजनाओं के विकास ने लोगों को बेहतर जीवन और आवास की सुविधा प्रदान की है। साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश ने सड़कों, पुलों, बिजली और पानी के सुविधाओं को सुधारा है, जो देश के विकास को सशक्त बनाने में मदद कर रहा है।

वैश्विक ब्रोकरेज जेफ़रीज़ का दावा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है, यह देश के आर्थिक विकास और प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारत की उच्च उत्पादकता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और बढ़ती आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से इस लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना है।