Electoral Bond: चुनावी बॉन्ड योजना असंवैधानिक, खरीददारों के साथ ही भुनाने वाले दलों का विवरण होगा सार्वजनिक

3/4/20241 min read

Electoral Bond: चुनावी बॉन्ड योजना असंवैधानिक, खरीददारों के साथ ही भुनाने वाले दलों का विवरण होगा सार्वजनिक

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता लाने के दावे के साथ शुरु किये गए चुनावी बॉन्ड की योजना को असंवैधानिक करार दिया है। पार्टियों को मिलने वाले चुनावी फं¨डग की जानकारी को मतदाताओं का अधिकार बताते हुए पांच न्यायाधीशों की बेंच ने 2019 से चुनाव आयोग को अभी तक जारी किये सभी बॉन्ड के खरीददारों और उन्हें भुनाने वाले दलों के जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया है।


सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता लाने के दावे के साथ शुरु किये गए चुनावी बॉन्ड की योजना को असंवैधानिक करार दिया है। पार्टियों को मिलने वाले चुनावी फंडिंग की जानकारी को मतदाताओं का अधिकार बताते हुए पांच न्यायाधीशों की बेंच ने 2019 से चुनाव आयोग को अभी तक जारी किये सभी बॉन्ड के खरीददारों और उन्हें भुनाने वाले दलों के जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को किया निरस्त

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले व्यक्तियों या कंपनियों की जानकारी गुप्त रखने के लिए कंपनी कानून, आरबीआइ कानून, जनप्रतिनिध कानून और आयकर कानून के विभिन्न धाराओं में किये गए संशोधनों को भी निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सीधा असर दो महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टियों की फंडिंग के पैटर्न पर पड़ेगा।

कांग्रेस ने फैसले का किया स्वागत

कांग्रेस ने इस फैसले का स्वागत किया जबकि भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चुप्पी साध रखी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सिर्फ इतना कहा कि 2018 में चुनावी बॉन्ड की योजना को चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लाया गया था और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के गहन अध्ययन के बाद ही सरकार अगले कदम का फैसला करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को क्यों किया खारिज?

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के चुनावी पारदर्शिता के सरकार के तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पारदर्शिता की तुलना में यह मतदाताओं के पार्टी को फंड देने वालों की जानकारी लेने के अधिकार का हनन ज्यादा करता है। पांच न्यायाधीशों के बेंच में दो अलग-अलग फैसले दिये, लेकिन दोनों में ही चुनावी बॉन्ड योजनाओं को असंवैधानिक करार दिया गया। एक फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायाधीश जेबी पार्दीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा ने दिया।