रोजाना देखते हैं फोन! तो लग सकता है चश्मा, कितने घंटे स्क्रीन टाइम है आंखों के लिए सेफ? डॉ. ने बताई सही लिमिट


Recommended Screen time by age: जिस फोन को आप अपना सबसे जरूरी साथी समझकर हर समय चिपकाए घूमते हैं और खाते-पीते, उठते, बैठते अपनी आंखों को इसी पर टिकाए रहते हैं, यही फोन आपका सबसे बड़ा दुश्मन है. अगर आप रोजाना कई कई घंटे लगातार फोन पर सोशल मीडिया साइट्स स्क्रॉल करते हैं, मूवी देखते हैं या गेम्स खेलते हैं और ऐसा किए बिना रह नहीं पाते हैं तो तो मान लीजिए कि आपकी आंखों पर चश्मा चढ़ने की तैयारी हो गई है
एम्स नई दिल्ली स्थित आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज की कई रिसर्च स्टडीज इस बात की गवाह हैं कि स्मार्टफोन देखने की आदत की वजह से लोगों की आंखों में सबसे ज्यादा रिफरेक्टिव एरर और मायोपिया की शिकायत देखने को मिल रही है और इन बीमारियों की वजह से बड़ों ही नहीं बच्चों को भी कम उम्र में चश्मा लग रहा है.
कोरोना के बाद से बच्चों और बड़ों दोनों का ही स्क्रीन टाइम बढ़ गया है. उस समय ऑनलाइन पढ़ाई और ऑनलाइन वर्क की वजह से 6-8 घंटे तक बच्चे और बड़े लोग फोन स्क्रीन पर रहते थे. अब जब यह टाइम 2-3 घंटे हो गया है तो पेरेंट्स निश्चिंत हैं कि स्क्रीन टाइम कम हो गया है. जबकि यह अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है. इतनी देर तक फोन देखने की वजह से विजन गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है और आंखों का नंबर भी बढ़ रहा है.
बच्चों के लिए कितने घंटे फोन देखना है सेफ?आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज, एम्स दिल्ली में प्रोफेसर रोहित सक्सेना कहते हैं कि बच्चों को बिल्कुल भी फोन न दिखाएं. उन्हें बताएं कि फोन सिर्फ बात करने के लिए है. छोटे बच्चों की आंखों के लिए फोन देखना बिल्कुल भी सेफ नहीं है. यह उन्हें नुकसान ही पहुंचाएगा. उन्हें स्मार्टफोन के बजाय आउटडोर एक्टिविटीज कराएं
बहुत सारे बच्चे हैं जो फोन देखकर खाना खाते हैं. पेरेंट्स किसी काम में बिजी हैं तो बच्चे आंखों के एकदम पास रखकर फोन देखते रहते हैं. या फिर खुद माता-पिता ही बच्चों को फोन देकर फ्री हो जाते हैं. ये सभी चीजें खराब हैं.
बड़ों के लिए क्या है स्क्रीन टाइम लिमिट..
डॉ. बताते हैं कि बड़ों के लिए फोन के घंटे तय करने को लेकर ऐसी कोई गाइडलाइंस नहीं हैं कि इतनी देर देखेंगे तो आपकी आंखें सुरक्षित रहेंगी लेकिन फिर भी बड़ों को दो घंटे से ज्यादा फोन नहीं देखना चाहिए. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि दो घंटे फोन देखना सेफ है. आप इस समय को कम से कम रखें.
लेकिन अगर किसी का काम ही फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर पर है, तो उसको स्क्रीन टाइम कम करने की सलाह कैसे दी जा सकती है. फिर भी उनके लिए जरूरी है कि काम के बाद वे फोन न देखें या कम से कम देखें. इस समय को जरूर 2 घंटे से कम रखें. इसके अलावा हर 20 मिनट से आधा घंटे के बीच 5 मिनट का गैप जरूर करें. इस दौरान स्क्रीन से आंखें हटाकर लंबी दूरी तक देखें.
क्या हो रहा है फोन से आंखों को नुकसान
कोरोना के बाद की गई स्टडीज में देखा गया है कि आंखों की बीमारियां जैसे रिफरेक्टिव एरर और मायोपिया छोटे बच्चों और बड़ों दोनों में ही तेजी से बढ़ रहे हैं. कोविड के बाद इन दोनों बीमारियों की प्रिवलेंस 7-8 साल के छोटे बच्चों में भी देखने को मिल रही है. जबकि 5-6 साल पहले तक आंखों की ये बीमारियां करीब 13 साल से ऊपर के बच्चों में देखी जा रही थीं. कोरोना के दौरान इस्तेमाल किए गए स्मार्टफोन का ही नतीजा है कि आज भारत की कुल आबादी में से 55 करोड़ लोगों को एक जोड़ी चश्मे की जरूरत पड़ रही है.
ये हुई आरपी सेंटर में स्टडी
दुनियाभर में हर अगली पीढ़ी में मायोपिया का प्रिवलेंस तेजी से बढ़ रहा है. 2001 में आरपी सेंटर की एक स्टडी में मायोपिया 7 फीसदी देखा गया था. उसी इलाके में जब 10 साल बाद फिर स्क्रीनिंग की गई तो मायोपिया करीब 13 फीसदी लोगों तक पहुंच गया. वहीं हाल ही में जो भी सर्वे हुए हैं वे बताते हैं कि देश की 20 फीसदी से ज्यादा आबादी रिफरेक्टिव एरर या मायोपिया की गिरफ्त में आ चुकी है. इसलिए फोन को आप जितना दूर रख सकते हैं, उतना रखें.